परेशान हूँ की परेशानी नहीं है
परेशानी का मंज़र
कहाँ गया?
सब शाँत और सूखा
क्यों हो गया?
जब ऐसा होता तो क्यों लगता,
जिंदगी से कहीं कुछ है खो गया?
जिंदगी से कहीं कुछ है खो गया?
दिल में खलबली
क्यों नहीं है?
पैरों की चहलकदमी
क्यों रुकी है?
जब ऐसा होता तो क्यों लगता,
क्या वज़ूद हमारा नाकाम हो गया?
घर में बिमारी
नहीं है,
दफ्तर में चिकचिकारी
नहीं है,
जब ऐसा होता तो क्यों लगता,
आखोँ में हँसी
क्यों है?
होंठों पे गीत
क्यों हैं?
जब ऐसा होता तो क्यों लगता,
क्या आईने की ज़गह पुराना फोटो देख लिया?
क्या वज़ूद हमारा नाकाम हो गया?
घर में बिमारी
नहीं है,
दफ्तर में चिकचिकारी
नहीं है,
जब ऐसा होता तो क्यों लगता,
क्या शान्ति के बाद तूफ़ान आएगा?
आखोँ में हँसी
क्यों है?
होंठों पे गीत
क्यों हैं?
जब ऐसा होता तो क्यों लगता,
क्या आईने की ज़गह पुराना फोटो देख लिया?
"इंसान" कभी संतुष्ट नहीं होता, उसी उसी की एक बानिगी - सबसे अलग, निराली सोच के साथ मनोभावों की प्रशंसनीय प्रस्तुति - पहली बार ब्लॉग पर आया - सुखद अनुभूति - बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteराकेश जी, बहुत धन्यवाद। पढ़कर अच्छा लगा आपने जो लिखा और हौसला बढ़ाया।
ReplyDeleteहो कौन सा ज़माना मेरे ख़याल का?
ReplyDeleteवीरान है मकाँ वो अपना वबाल का
क्यों इंतज़ार होगा जब इख़्तियार से
कोई न दर्द बाँटे मेरे मलाल का
जो मौत ज़िंदगी से बेहतर लगे कभी
है रूह का तसव्वुर आना कमाल का
थी पड़ी ना'श जंगल के बीच संत की
तबीब बता न पाया मूजिब जमाल का
पैसा न देख, रुक़्'ए का रंग तू बता
नुक़साँ नफ़ा' बनेगा गर हो हलाल का
मज़हब बग़ैर मैं ने अल्लाह पा लिया
रूहानियत "समा" है बा'इस जलाल का
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वबाल = visitation, nuisance
मलाल = dejection
रूह = spirit, soul
तसव्वुर = thought, imagination
ना'श = corpse
तबीब = doctor
मूजिब = reason
जमाल = glow
रुक़्'ए = (coll. रुक़्क़े) currency note
नफ़ा' = profit, gain
हलाल = (of) legitimate (means)
रूहानियत = spirituality
बा'इस = cause
जलाल = glor