सड़क पर जा रहे थे हम तन कर,
माँग ली जगह हमने बस गज़ भर,
हॉर्न दिया, डिप्पर दिया, इशारा भी किया,
फिर भी बाइक ने रास्ता नहीं दिया,
गाड़ी में बैठे दोस्त ने दिया उकसा,
क्या यही है रुतबा यहाँ आप का?
बस जेब से निकाल हमने तमंचा चला दिया,
बाइक वाले का सिर धड़ से उड़ा दिया,
दोस्त हमारा आ गया सकते में,
बोला मियाँ यह क्या किया आपने?
हम हँसे और बोले क्यों डरते हो यार,
इस मुर्दों के शहर में है जंगल राज,
नहीं पकड़ा ना किसी ने हमें अभी तक,
ऐसा ही होता है इस शहर में आज-कल,
मुर्दे कुछ कहते नहीं,
ताकत जंगल में बलवान,
हिंसा से नींद तो उड़ी हमारी,
पर यहाँ सब चलता है मेरे यार।
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